झांसी में एलएचबी कोच के पीओएच से ट्रांज़िट समय में लगभग 30 दिनों की कमी

आज दिनांक 16.12.2020 को महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने कोच मिड लाइफ रिहैबिलिटेशन कारखाने में पीरीयॉडिक ओवर्हॉल(POH) किए गए पहले एल एच बी कोच सं 163441 (सामान्य श्रेणी) को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। वाशिंग लाइनों पर होने वाले ट्रिप अनुरक्षण के अतिरिक्त, एल एच बी कोचों को प्रत्येक 18, 36 और 72 महीनों में विशेष अनुरक्षण की आवश्यकता होती है, जिसे शॉप शिड्यूल- I (SS-I), शॉप शिड्यूल- II (SS-II) और शॉप शिड्यूल- III (SS-III) या पीरीयॉडिक ओवर्हॉलिंग कहा जाता है। ये प्रमुख रखरखाव एलएचबी कोच की परिचालन के दौरान संरक्षा और यात्रियों की सुविधा के अनुकूल प्रदर्शन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। अब से पहले उत्तर मध्य रेलवे के कोचिंग डिपो द्वारा एलएचबी कोचों का केवल SS-I शेड्यूल किया जा रहा था और SS-II और POH / SS-III के लिए LHB कोचों को अजमेर, गोरखपुर और अन्य कारखानों में भेजा जाता था। अन्य ज़ोनों में होने वाले अनुरक्षण से कोचों को भेजने एवं वापस प्राप्त करने में लगने वाला ट्रांजिट समय बढ़ जाता था और इससे यात्री ट्रेनों के लिए फिट कोचों की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। उत्तर मध्य रेलवे के झांसी कारखाने में LHB कोच का POH / SS-III प्रारंभ होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो इस रेलवे पर कुशल यात्री ट्रेन संचालन में विशेष सहायक होगा ।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस वर्चुअल फ्लैगिंग ऑफ कार्यक्रम में प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर श्री कुंदन कुमार ने महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे, प्रमुख विभागाध्यक्षों और मंडल रेल प्रबंधकों का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य कारखाना प्रबंधक सीएमएलआर श्री दीपक निगम द्वारा एलएचबी कोचों की पीओएच / एसएस-तृतीय अनुरक्षण तथा कोचिंग डिपो को ओवरहॉल बोगियों की आपूर्ति के लिए झांसी कारखाने द्वारा किए गए प्रयासों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई।

अन्य क्षेत्रीय रेलों के कारखानों की तुलना में, सीएमएलआर झांसी में एल एच बी कोचों के पीओएच से ट्रांज़िट समय में लगभग 30 दिनों की कमी होगी। इसके अलावा, झांसी कारखाने से निकला कोच सुखद यात्रा अनुभव के लिए बेहतर यात्री सुविधाओं से भी सुसज्जित होगा।
एलएचबी कोचों के लिए निर्धारित रखरखाव गतिविधियों के अलावा, बेहतर यात्री सुविधाओं जैसे कोचों की बेहतर पीयू पेंटिंग; कोच के दोनों किनारों पर आरओ आधारित जल शोधक का फिटमेंट; सीटों और बर्थ का पूर्ण नवीनीकरण; बेहतर स्टेनलेस स्टील फिटिंग का प्रावधान; कोच के अंदर एलईडी लाइटों, इनर्जी एफीशिएंट पंखे और अतिरिक्त मोबाइल चार्जिंग पॉइंट की व्यवस्था; जैव शौचालयों आदि में सुधार भी झांसी कारखाने द्वारा पीओएच के दौरान किया जा रहा है।

महाप्रबंधक ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने के लिए झांसी कारखाने और मुख्यालय के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को बधाई दी और झांसी कारखाने द्वारा इस सराहनीय कार्य के लिए सामूहिक नकद पुरस्कार की घोषणा की। इस अवसर पर बोलते हुए, श्री चौधरी ने कहा कि कारखाने को कोच के लोगों द्वारा बार-बार स्पर्श किए जाने वाले स्थानों पर पीतल या नैनो-कण कोटिंग प्रदान की जाए ताकि इन सतहों को वायरस और अन्य संक्रमणों के विरुद्ध अधिक प्रतिरोधी बनाया जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि बेहतर उत्पादकता और कारखाना कर्मचारियों को बेहतर कार्य वातावरण प्रदान के लिए एर्गोनोमिक रूप से डिज़ाइन किए गए वर्कस्टेशन प्रदान किए जाएं।

इसके उपरांत उत्तर मध्य रेलवे के ट्रंक मार्गों की गति को 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ाने, ट्रेन संचालन में संरक्षा, लदान और अन्य आवश्यक कार्यों की समीक्षा की गई। महाप्रबंधक ने निर्देश दिया कि शंटिंग, वैगनों से अनलोडिंग, वैगन के दरवाजों को बंद करने और सुरक्षित रखने आदि के लिए सभी नियमों और दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए। लदान के मोर्चे पर महाप्रबंधक ने उत्तर मध्य रेलवे पर माल लदान बढ़ाने में बेहद उपयोगी स्टेशन टू स्टेशन (एसटीएस) रियायती दरों के प्रस्तावों को शीघ्रातिशीघ्र अंतिम रूप देने पर बल दिया । उत्तर मध्य रेलवे के दोनों ट्रंक मार्गों पर 160 किमी प्रति घंटे की गति बढ़ाने के लिए आवश्यक कार्यों की भी समीक्षा की गई। महाप्रबंधक ने संबंधित विभागों को कार्य की प्रगति की बारीकी से निगरानी करने और मंडलों को थिक वेब स्विच के प्रावधान में तेजी लाने का निर्देश दिया।

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